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बड़ी खबर : PM मोदी के केदारनाथ दौरे के बाद BJP – Congress में ‘जूता युद्ध’। आखिर बहस में क्यों कूदे हरीश रावत ? Tap कर जाने

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून। उत्तराखण्ड चुनाव से ठीक पहले PM मोदी की केदारनाथ यात्रा राज्य की सियासत का अखाडा बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया केदारनाथ दौरे के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा उस ज़ुबानी जंग में शामिल हो चुकी हैं, जिसका केंद्र बिंदु जूता है । पहले पीएम मोदी के कार्यक्रम पर परंपराएं तोड़ने का आरोप विपक्ष ने लगाया तो उसके बाद भाजपा ने एक वीडियो वायरल कर दिया, जिसमें कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल 2013 की केदारनाथ आपदा के समय कथित तौर पर मंदिर में जूते पहनकर प्रवेश करते दिखे।  इसके बाद भड़के विवाद में अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी शामिल हो गए हैं और उन्होंने ‘आपत्ति काले मर्यादा नास्ति’ तर्क का समर्थन किया है। 

क्या है पूरा मामला? पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे पर जो भव्य कार्यक्रम हुआ, ​उसका लाइव टेलिकास्ट किया गया था।  इस कार्यक्रम को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने दो आपत्तियां मुख्य रूप से दर्ज की थीं।  एक तो यह कि केदारनाथ के गर्भगृह से कार्यक्रम का प्रसारण किया गया जबकि यहां कैमरे के उपयोग पर मनाही का नियम है।  दूसरे भाजपा के कार्यक्रम में मोदी समेत कई नेता मंदिर परिसर में सजे मंच पर कथित तौर पर जूते पहने ​हुए दिखे।  इन दो बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज करते हुए विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर केदारनाथ और श्रद्धालुओं की भावनाओं का अपमान करने का आरोप लगाया था। 

भाजपा ने जारी करवाया VIDEO : इस तरह की राजनीति को जब हवा मिली तो कथित तौर पर भाजपा की मीडिया इकाई ने सोशल मीडिया पर एक पुराना वीडियो वायरल करवाया, जिसमें गणेश गोदियाल केदारनाथ मंदिर में जूते पहने दिखे।  इस वीडियो के साथ भाजपा की तरफ से ये आरोप लगाए गए कि ‘जो लोग गर्भगृह में भी जूते पहनकर जा चुके हैं, वो मंदिर से दूरी पर हुए कार्यक्रम में जूते पहनने का आरोप कैसे लगा सकते हैं!’ यही नहीं, भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ पर भी मंदिर में जूते पहनकर जाने का आरोप लगाया।  इसके बाद इस बहस ने जवाबी हमलों का रूप ले लिया। 


‘आपदा में मर्यादा कैसी?’ गोदियाल ने इस वीडियो के साथ मोदी के हालिया दौरे की घटना की तुलना को सरासर गलत बताते हुए ​सफाई दी कि 2013 में मंदिर आपदाग्रस्त था और हज़ारों लाशों से पटे मंदिर में राहत कार्यों के लिए वह गए थे।  तब प्रश्न आस्था नहीं, बल्कि आपदा का था. गोदियाल के इस तर्क का समर्थन करते हुए बहस में कूदे पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी गोदियाल का बचाव किया और कहा कि तब गोदियाल के सामने पहली प्राथमिकता मृतकों को बाहर निकालना थी। 


‘पहले अपने पाप याद करिए’ : इस बहस को आगे बढ़ाते हुए रावत ने कमलनाथ का भी बचाव करते हुए लिखा कि वह भी तब केदारेश्वर गए थे, जब वहां मंदिर के क्षतिग्रस्त होने की खबरें फैली थीं।  रावत ने लिखा, फिर भी ‘रही बात कमलनाथ जी की, तो क्या भाजपा यह कहना चाहती है कि मोदी जी ने कमलनाथ जी का अनुसरण किया?’ रावत ने भाजपा की आलोचना करते हुए लिखा, ‘जब हम पुनर्निर्माण में जुटे थे, तब आपकी पार्टी बयान दे रही थी कि उत्तराखंड जो आ रहे हैं, वो सर पर कफन बांधकर आएं।  ज़रा अपने पापों को याद करिए, तब दूसरों पर उंगली उठाइए।’

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