( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। दक्षिण कोरिया, जापान और यूरोप के तमाम देशों में तेजी से घटती आबादी वहां के समाज की सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। इन देशों में यही ट्रेंड रहा तो आने वाले समय में इनके यहां लोगों का आकाल पड़ जाएगा। लेकिन, यह अब यह समस्या भारत में भी पैर पसारने लगी है। भारत के कुछ विकसित राज्यों में स्थिति बहुत चिंताजनक हो गई है। आज हम ऐसे ही राज्य की बात करते हैं, जिसे भारत का यूरोप कहा जाता है। इस राज्य में देश भर में सबसे बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति है। यहां रोजगार और प्रति व्यक्ति आय भी बेहतर है. यह करीब-करीब हर रूप में एक विकसित राज्य कहलाने के मानक को पूरा करता है। लेकिन, आज स्थिति यह है कि यहां आने वाले समय में लोगों के आकाल पड़ने की संभावना है।
जी हां हम बात कर रहे हैं भारत के केरल राज्य की. 2024 में इस राज्य की अनुमानित आबादी 3.6 करोड़ थी। इससे पहले 1991 में यहां की आबादी 2.90 करोड़ थी। यानी बीते करीब 35 सालों में इस राज्य की आबादी केवल 70 लाख बढ़ी है। 2011 की जनगणना के मुताबिक इस राज्य की आबादी उस वक्त 3.34 करोड़ थी। यानी यह राज्य करीब-करीब स्थिर आबादी के लक्ष्य को हासिल कर चुका है।
हालात चिंताजनक
‘द हिंदू’ अखबार की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद आबादी के मामले में केरल की स्थिति चिंताजनक हो गई है। पहले राज्य में प्रति वर्ष 5 से 5.5 लाख बच्चे पैदा होते थे। लेकिन, बीते 2023 में यह आंकड़ा घटकर 3,93,231 यानी चार लाख से भी कम पर आ गया। ऐसा पहली बार है जब किसी साल में इतने कम बच्चे पैदा हुए हैं। वर्ष 2018 के बाद से स्थिति तेजी से बिगड़ी है. 2021 में केरल में आधिकारिक तौर पर जारी आंकड़ों में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या गिरकर 4,19,767 पर आ गया था। अब 2023 का आंकड़ा और चिंताजनक है. 2023 की रिपोर्ट चंद दिनों में प्रकाशित होने वाली है।
2.1 की फर्टिलिटी रेट जरूरी
जनसंख्या वैज्ञानिकों के मुताबिक आबादी की मौजूदा स्थिति को बनाए रखने के लिए 2.1 की फर्टिलिटी रेट चाहिए। यानी प्रति महिला के शरीर से कम से कम 2.1 बच्चे पैदा होने चाहिए. केरल ने इस लक्ष्य को 1987-88 में हासिल कर लिया था। केरल देश का एक ऐसा राज्य है जहां करीब-करीब 100 फीसदी बच्चे अस्पतालों में पैदा होते हैं। यहां का स्वास्थ्य व्यवस्था काफी अच्छी मानी जाती है। शिशु मृत्यु दर में यह प्रदेश यूरोप के राज्यों को टक्कर देता है। रिपोर्ट के मुताबिक यहां प्रति एक हजार बच्चों पर शिशु मृत्यु दर मात्र छह है। जबकि राष्ट्रीय औसत 30 है. इस बारे में एक्सपर्ट और डॉक्टर बताते हैं कि बीते करीब तीन दशक से केरल में आबादी स्थिर है। लेकिन पैदा होने वाले बच्चों की संख्या में भारी कमी चिंता का विषय है।

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