( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। किसी के साथ छोटी बड़ी घटना घटती है तो सबसे पहले पुलिस की मदद ली जाती है। इतना ही नहीं यदि कोई वारदात घट जाती है तो पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाये जाते हैं।इतना ही नहीं जिले में कोई वीआईपी आता है तो उसकी सुरक्षा व्यवस्था भी पुलिस की होती है। पुलिस के कंधों पर कानून व्यवस्था से लेकर वीआईपी ड्यूटी की जिम्मेदारी है। जिले में एक पुलिसकर्मी के जिम्मे 913 लोगों की सुरक्षा है। जबकि संयुक्त राष्ट्र के मानकों के मुताबिक एक पुलिसकर्मी पर 222 लोगों की सुरक्षा होनी चाहिए।जिले में वर्तमान में करीब 2800 पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत हैं। जबकि तैनाती 2400 की है। 400 पुलिसकर्मियों के पद रिक्त हैं। जनसंख्या के लिहाज से हरिद्वार प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। इस लिहाज से स्वीकृत पदों की संख्या भी काफी कम है। पिछले छह वर्षों से पुलिसकर्मियों का नया पद स्वीकृत नहीं हुआ है। जबकि आबादी के साथ अपराध और सड़कों पर वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में पुलिस कर्मियों को 12 से 14 घंटे तक ड्यूटी से जूझना पड़ता है।
एक लाख यात्री आते हैं रोजाना धर्मनगरी में
पुलिस के अनुसार औसतन एक लाख यात्री रोजाना धर्मनगरी में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ ही यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा भी पुलिसकर्मी उठाते हैं। वीआईपी मूवमेंट में भी पुलिसकर्मियों की तैनाती होती है। यातायात का संचालन भी इन्ही के कंधों है।
17 कोतवाली और थाने है हरिद्वार में
जिले में वर्तमान में कुल 17 कोतवाली और थाने हैं। जिसमें नगर कोतवाली, ज्वालापुर, रानीपुर, लक्सर, गंगनहर, सिविल लाइन, मंगलौर, थाना कनखल, सिडकुल, श्यामपुर, बहादराबाद, भगवानपुर, खानपुर, बुग्गावाला, पिरान कलियर, झबरेड़ा और पथरी।
आखिर क्या कहते है एसएसपी हरिद्वार
एसएसपी हरिद्वार सेंथिल अवूदई कृष्णराज एस कहते है कि प्रदेश में लगातार पुलिसकर्मियों की भर्तियां चल रही हैं। पहले की अपेक्षा व्यवस्था बेहतर हुई है। आने वाले समय में स्वीकृत पदों के मुताबिक पुलिसकर्मी जिले में तैनात होंगे। सवाल पुलिसकर्मियों की संख्या का नहीं है। मौजूदा पुलिसकर्मियों से कितना बेहतर काम लिया जा सकता है यह सबसे बड़ी चुनौती है। पुलिसकर्मियों से बेहतर काम लेने का प्रयास किया जा रहा है।