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गांधी परिवार दो-तीन दिन के लिए शिमला प्रवास पर। लेकिन सचिन पायलट का दिल्ली में ही डेरा। आखिर क्यों ? Tap कर जाने

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* पंजाब के बाद राजस्थान में भी फेरबदल को लेकर अटकलें तेज। एंजियोप्लास्टी के बाद सीएम गहलोत अभी तक सीएमआर में ही।
* राहुल गांधी और सचिन पायलट की मुलाकात को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म।
( एस पी मित्तल )
नई दिल्ली।
पंजाब में मुख्यमंत्री का बदलाव करने के बाद कांग्रेस का नेतृत्व करने वाला गांधी परिवार 20 सितंबर को हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थल शिमला पहुंच गया है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी का निजी आवास शिमला में ही है। प्रियंका गांधी पहले से ही शिमला में मौजूद थी और 20 सितंबर को श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी शिमला पहुंच गए हैं। कांग्रेस में पंजाब के बदलाव को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। इसलिए अब राजस्थान में भी बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि ऐसी अटकलें पिछले एक वर्ष से चल रही हैं, लेकिन बदलाव चाहने वालों को सफलता नहीं मिली है।

जानकार सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों जब पंजाब का राजनीतिक संकट चल रहा था, तब राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट दिल्ली में ही थे। इस बीच उनकी राहुल गांधी से भी मुलाकात हुई है। माना जा रहा है कि गांधी परिवार के शिमला प्रवास से लौटने के बाद राहुल गांधी का फोकस राजस्थान पर रहेगा। पायलट अभी भी दिल्ली में ही हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि 21 सितंबर को सचिन पायलट की मुलाकात राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ हो।

मौजूदा समय में कांग्रेस आलाकमान खासकर राहुल गांधी का सबसे ज्यादा भरोसा अजय माकन पर ही है। माकन ही पर्यवेक्षक बन कर चंडीगढ़ गए थे। तीन दिन पहले ही माकन ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीमार नहीं होते तो अब तक मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाता। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत 26 अगस्त को सीएम गहलोत की एंजियोप्लास्टी हुई थी और तभी से वे जयपुर स्थित सरकारी आवास पर विश्राम कर रहे हैं। चिकित्सकों की सलाह पर गहलोत की किसी से भी मुलाकात नहीं कर रहे हैं। दो दिन पहले गहलोत ने भी सोशल मीडिया पर लिखा था कि वे जल्द स्वस्थ होकर सक्रियता के साथ काम करने लगेंगे। बदलाव चाहने वालों को मुख्यमंत्री के फिर से काम शुरू करने का इंतजार है।  जानकारों की मानें तो मंत्रिमंडल विस्तार पर सीएम गहलोत की भी सहमति हो गई है। सचिन पायलट के समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है। लेकिन अभी पायलट की भूमिका को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। अलबत्ता कांग्रेस हाईकमान का मानना है कि अगले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह सही है कि मौजूदा समय में अधिकांश विधायकों का समर्थन गहलोत के साथ है। इसलिए सरकार पर कोई खतरा नहीं है। इस बार पायलट ने भी अपनी रणनीति बदली है। सीएम गहलोत से उलझने के बजाए वे कांग्रेस हाईकमान से ही संवाद कर रहे हैं और हाईकमान के फैसले का ही इंतजार है। पायलट को लेकर हाईकमान ने जो सकारात्मक रुख दिखाया है उससे पायलट समर्थकों में भी उत्साह देखा जा रहा है। 

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