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अगर जल्दी ही लॉकडाउन से निज़ात न मिली तो प्रदेश में बेरोज़गारों की बड़ी भारी फ़ौज खड़ी होने जा रही है। आखिर कैसे ? जाने 

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  *   पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी किशोर उपाध्याय ने  होटल, रेस्टौरेंट व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों, इनमें काम करने वाले साथियों जिनमे शेफ़, प्रबंधक, इस व्यवसाय से जुड़ी वर्कर यूनियनों से बात-चीत की।

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(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून / हरिद्वार।  देवभूमि उत्तराखण्ड में लॉकडाउन के चलते चहुओर सन्नाटा फैला हुआ है। कोरोना वायरस के कारण देवभूमि के होटल कारोबारी बेहद ही मानसिक और आर्थिक परेशानी से जूझ रहे है। कारण है कि देवभूमि के ज्यादातर होटल लीज पर कारोबारियों द्वारा लिए गए है। हालत यह कि बड़ी रकम देकर अच्छा मुनाफा कमाने के उदेश्य से कारोबारी होटल लीज पर ले लेते है। इतना ही नहीं लीज पर होटल लेने वालो में अधिकांश होटल स्वामियों को एडवांस भी देते है। इस सम्बन्ध में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी किशोर उपाध्याय ने  होटल, रेस्टौरेंट व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों, इनमें काम करने वाले साथियों जिनमे शेफ़, प्रबंधक, इस व्यवसाय से जुड़ी वर्कर यूनियनों से बात-चीत की।उन्होंने कहा कि अगर जल्दी ही लॉकडाउन से निज़ात न मिली तो प्रदेश में बेरोज़गारों की बड़ी भारी फ़ौज खड़ी होने जा रही है। क्योकि उत्तराखण्ड में बड़े ग्रुप के बहुत ही कम होटल हैं, जो इस धक्के को अधिक से अधिक तीन महीने तक सम्हाल लेंगे, बाक़ी का हाल अभी से बुरा होने लगा है।

फोटो ,1 ,किशोर उपाध्याय ,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ,उत्तराखण्ड कांग्रेस 


किशोर उपाध्याय ने कहा कि अधिकतर होटल स्थानीय उत्तराखंडियों ने लीज़ पर ले रखे हैं, उनकी हालत तो और भी खराब है, उन्हें मालिकों का लीज़ रेंट भी देना है, OYO पहले ही दिवालियेपन की कगार पर है, उस पर होटल/मोटल मालिकों का पहले से ही काफ़ी बकाया है।
मई और जून में कश्मीर की स्थिति के कारण यहाँ पर्यटक़ों के आने की सम्भावना थी, क्योंकि उस समय स्कूलों की भी छुट्टियाँ हो जाती हैं, कोरोनो ने उन सम्भावनाओं को ख़त्म कर दिया है।
होटलों के सामने सबसे बड़ी समस्या इस विश्वास को बरकरार रखने की होगी कि उसमें ठहरने वाले यात्री का जीवन सुरक्षित है, कोरोना, उस विश्वास को तोड़ चुका है।
किशोर उपाध्याय ने कहा कि सबसे अधिक भरोसा धार्मिक यात्रा का था, जो कि ख़तरे में पड़ती दिखाई दे रही है। इस क्षेत्र में काम करने वाले हमारे उत्तराखंडी भाई पूरे विश्व में फैले हैं और आज देश-दुनिया की स्थिति कोई अच्छी नहीं है, अगर वे सब अपने गाँव-घर वापस आ गये तो क्या होगा?
राज्य बनने के बाद राज्य में होटलों की बाढ़ सी आ गयी है। अस्थायी राजधानी में 2000 से पहले गिने-चुने होटल/रेस्टोरेंट थे, आज तो बाढ़ आ गयी है।यही हाल पूरे प्रदेश का है।
अधिकतर होटल/रेस्टोरेंट व्यवसायियों ने बैंकों से क़र्ज़ ले रखे हैं, नोटबंदी के नुक़सान से वे भरपाई भी नहीं कर पाये थे, कि कोरोना नामक नई आफ़त और आ गई है।

( विभाष मिश्रा , होटल व्यवसाई , हरिद्वार )

हरिद्वार के होटल व्यवसाई विभाष मिश्रा का कहना है कि लॉकडाउन के चलते होटल खली पड़े है। महाकुम्भ मेले के दृष्टिगत रखते हुए लीज पर होटल लिए गए थे। इतना ही नहीं होटल लीज पर लेने के लिए बैंको से कर्ज भी लिया गया था पर लॉकडाउन के कारण ईएमआई की भरपाई कहा से हो यह तो चिंता बानी हुई ही है।   
वही किशोर उपाध्याय ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि मेरा सरकार को सुझाव है कि वह केंद्र सरकार से बात करे, बैंकों की ऋण अदायगी पर एक वर्ष की रोक लगाये।इतना ही नहीं राज्य सरकार भी बिजली-पानी व अन्य क़रों को एक वर्ष के लिये स्थगित करे। साथ ही स्थानीय निकाय भी इसी तरह की सुविधा प्रदान करें।
उन्होंने कहा कि लोकडाउन में सुरक्षा चक्र का ध्यान रखते हुये, सरकार इस व्यवसाय की प्रतिनिधि संगठनों से बात-चीत कर भविष्य का रास्ता तलाश सकती है, इस व्यवसाय से जुड़े कई लोग तो बात-चीत में भयंकर अवसाद में लग रहे हैं। किशोर ने कहा कि समय पर चेत जायेंगे तो आसन्न संकटों से बच जायेंगे।

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