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लॉकडाउन से तीर्थ पुरोहितों की आर्थिक स्थिति भी हुई गंभीर,जल्द निजात नहीं मिली तो आखिर क्या हश्र होगा ? जाने 

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*  मंदिरों के कपाट बंद होने के कारण वहाँ के पुजारियों के सामने अपने परिवारों के आजीविका का संकट पैदा हो गया है।तीर्थ पुरोहितों का तो और भी बुरा हाल है। कथाव्यासोंध्वाचकों की भी यही स्थिति है। इस पुनीत कार्य में विप्र वर्ग के अलावा, टेण्ट, म्यूजिक, भण्डारी-रसोईया आदि लोग शामिल होते थे, उनकी भी स्थिति ख़राब हो गई है।

( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने धार्मिक कर्मकांडों, कथा वाचकों, कथा व्यासों, तीर्थ पुरोहितों की लॉकडाउन से हुई गम्भीर आर्थिक हालात पर चिंता व्यक्त की है। उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने हरिद्वार, बनारस, देव प्रयाग, पुष्कर, उज्जैन, काँगड़ा, रामेश्वरम आदि तीर्थ स्थानों के पुरोहितों से बातचीत की है। कई लोग जिनका परिवार दिन प्रतिदिन के यजमानों की पूजा कार्य से चलता था, यदि जल्दी ही लॉकडाउन से निजात नहीं मिली तो इन पुरोहितों के परिवार भूखमरी के कगार पर हैं। नवरात्र में भगवती पूजा और चण्डीपाठ से ये ब्राह्मणजन अपने परिवार का एक-आध महीने का खर्च निकाल लेते थे, लेकिन लॉकडाउन से वह भी सम्भव नहीं हो पाया।इस समय श्रीमद् देवी भागवत का आयोजन भी नहीं हो पा रहा है।

फोटो ,1 ,किशोर उपाध्याय ,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ,उत्तराखण्ड कांग्रेस 

उपाध्याय ने कहा कि मंदिरों के कपाट बंद होने के कारण वहाँ के पुजारियों के सामने अपने परिवारों के आजीविका का संकट पैदा हो गया है।तीर्थ पुरोहितों का तो और भी बुरा हाल है। कथाव्यासोंध्वाचकों की भी यही स्थिति है। इस पुनीत कार्य में विप्र वर्ग के अलावा, टेण्ट, म्यूजिक, भण्डारी-रसोईया आदि लोग शामिल होते थे, उनकी भी स्थिति ख़राब हो गई है। आपको याद होगा, गुजरात समाज के श्रद्धालु हरिद्वार कथा आयोजन में आये थे, जिन्हें लॉकडाउन में वापस भेजा गया था। उपाध्याय ने कहा कि ढोल वादकों की आर्थिक स्थिति पर भी बड़ा बुरा असर पड़ा है।वैवाहिक आयोजनों के स्थगित होने से पुजारी वर्ग जितना प्रभावित हुआ उतना ही ढोल वादक वर्ग भी प्रभावित हुआ है। चैत व वैशाख महीने ढोल वादकों के थोड़ा-बहुत कमाई के महीने थे, जो कि कोरोना के भेंट चढ़ गये हैं। कथाव्यास लगभग 15 हजार करोड़ का आर्थिक योगदान देश की अर्थव्यवस्था में दे रहे थे, जोकि चैपट होता दिख रहा है। देववाणी संस्कृत शिक्षा पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा। उपाध्याय ने केंद्र व राज्य सरकारों से इस वर्ग की आर्थिक सहायता का आग्रह किया।

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