( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। विश्व आर्द्र भूमि दिवस पर हरिद्वार की सांस्कृतिक संस्था अध्यात्म चेतना संघ द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन ज्वालापुर स्थित संस्था के कार्यालय में किया गया। संस्था के संस्थापक कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “धरती पर सिर्फ हमारा ही अधिकार नहीं है अपितु इसके विभिन्न भागों में विद्यमान करोड़ों प्रजातियों का भी इस पर उतना ही अधिकार है जितना कि हमारा। आज के आधुनिक जीवन में मानव को सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन से है और ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि हम इस पर नियंत्रण करने के लिये तालाबों का संरक्षण करें।
डॉ. एम.सी. काला ने बताया कि “आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। वेटलैंड्स (आर्द्र भूमि) को ‘किडनीज़ ऑफ द लैंडस्केप’ (Kidneys of the Landscape) यानी ‘भू-दृश्य के गुर्दे’ भी कहा जाता है। जिस प्रकार से हमारे शरीर में जल को शुद्ध करने का कार्य किडनी द्वारा किया जाता है, ठीक उसी प्रकार वेटलैंड तंत्र जल-चक्र द्वारा जल को शुद्ध करता है और प्रदूषणकारी अवयवों को निकाल देता है।”
विचार गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे संस्था के अध्यक्ष प्रो.पी.एस. चौहान ने कहा कि
“वेटलैंड्स जंतु ही नहीं बल्कि पादपों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जहाँ उपयोगी वनस्पतियाँ एवं औषधीय पौधे भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। अतः ये उपयोगी वनस्पतियों एवं औषधीय पौधों के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” महामन्त्री भूपेन्द्र गौड़ ने कहा कि “दुनिया की तमाम बड़ी सभ्यताएँ जलीय स्रोतों के निकट ही बसती आई हैं और आज भी वेटलैंड्स विश्व में भोजन प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
वेटलैंड्स के नज़दीक रहने वाले लोगों की जीविका बहुत हद तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन पर निर्भर होती है।
वेटलैंड्स ऐसे पारिस्थितिकीय तंत्र हैं जो बाढ़ के दौरान जल की अधिकता का अवशोषण कर लेते हैं। बाढ़ का पानी झीलों एवं तालाबों में एकत्रित हो जाता है, जिससे मानवीय आवास वाले क्षेत्र जलमग्न होने से बच जाते हैं। संयोजक बृजेश शर्मा ने कहा कि “वेटलैंड्स के वैज्ञानिक महत्त्व के प्रति नीति-निर्माताओं के साथ ही आम जनता को भी इन वेटलैंड्स के संरक्षण के प्रति जागरूक बनाए जाने की ज़रूरत है।”
विचार गोष्ठी में डॉ.एम. सी. काला, रविन्द्र सिंघल, ताराचंद विरमानी, अर्चना वर्मा, साधना शर्मा, राखी धवन, संगीता गुप्ता, विजयेन्द्र पालीवाल, उमेश खेवड़िया, उपमा मिश्रा, अशोक गुप्ता आदि उपस्थित रहे।