( नवीन कुमार )
हरिद्वार। सनातन ज्ञानपीठ शिव मंदिर में चल रही छठे दिवस की श्री शिव महापुराण कथा में महंत प्रदीप गोस्वामी ने सब भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि शिव और सती चरित्र कथा में मां सती यदि श्री राम चरित्र पर संशय करती हैं तो भी हमें भगवान के किसी चरित्र पर संशय नहीं करना चाहिए। क्योंकि माता सती शिव की पराशक्ति है ,वह तो भगवान के वास्तविक स्वरूप का दर्शन कराना चाहती हैं। देह त्याग के द्वारा सती जी सांसारिक मोह भंग की लीला करती हैं।कथा व्यास ने बताया की सती के यज् में कूदकर आत्मदाह करने के पश्चात भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए उधर माता सती ने हिमालय और मैना रानी के यहां पर पार्वती के रूप में जन्म लिया ।
व्यास जी बताया की उस समय तारकासुर नाम के एक असुर का बहुत ही आतंक था जिससे देवता गण उससे बहुत ही भयभीत रहते थे।तारकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसका वध सिर्फ भगवान शिव की संतान ही कर सकती है. उस समय भी भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे. तब सभी देवताओं ने मिलकर शिव और पार्वती के विवाह की योजना बनाई। भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव को भेजा गया लेकिन वह भस्म हो गए। देवताओं की विनती पर शिव जी पार्वती जी से विवाह करने के लिए राजी हुए. विवाह की बात तय होने के बाद भगवान शिव जी बारात की तैयारी हुई। सांसारिक व्यक्ति बारात में जाने से पहले श्रृंगार करता है सभी प्रकार के द्वयो को अपने शरीर पर लगाता है जिससे की ऐसा सुंदर वर लगे जैसा ओर कोई ना परन्तु भगवान् शिव शमशान की भस्म का धारण करके सुंदर दिखना चाहते है तथा सांसारिक व्यक्तियों को ये संदेश देना चाहते है की दुनिया के कितने भी द्वय लगाए वह एक दिन अवश्य ही मित जाएंगे परन्तु चिता की भस्म हि अंतिम सत्य है रखेंगे। यदि इस बात को याद रखें तो जीवन सत्य जायेगा, तथा संसार मे सत्य शिवम् सुंदरम कहलाएँगे।
महाराज जी ने कथा को आगे सुनाते हुए बताते है की शिव जी की बारात में देवता, दानव, गण, जानवर सभी लोग शामिल हुए । भगवान शिव की बारात में भूत पिशाच भी पहुंचे। ऐसी बारात को देखकर पार्वती जी की मां बहुत डर गईं और कहा कि वे ऐसे वर को अपनी पुत्री को नहीं सौंप सकती हैं। तब देवताओं ने भगवान शिव को परंपरा के अनुसार तैयार किया, सुंदर तरीके से श्रृंगार किया इसके बाद दोनों का विवाह सम्पन्न हुआ। इस प्रकार शिवजी के विवाह का उत्सव मंदिर में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया ।कथा में मंदिर सचिव ब्रजेश शर्मा ,कथा यजमान मूला सिंह,विनोद देवी, जयप्रकाश, तेज प्रकाश, दिलीप गुप्ता, विष्णु ,राकेश मालवीय, आदित्य गहलोत,रामकुमार,चंद्रभान,धर्मपाल,दिनेश उपाध्यय,इंद्र मोहन रावत,होशियार सिंह ,नागेंद्र तिवारी,गौरव कपिल, क्षितिज,शाशी शर्मा,अलका शर्मा, भावना गहलोत,पुष्पा,दीपिका,सलोनी,शीला,शीतल,अनपूर्णा मिश्रा, सुमन ,सरला ,विभाग गौतम, संतोष, संतोष चौहान ,अंजू,मंजू ,रेनू ,आशा पुंडीर, सुमन ,राज किशोरी मिश्रा,उमा राणा, कौशल्या, पुष्पा,अनिता और अनेकों श्रोता उपस्थित रहे।