( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। आयुर्वेद विवि घोटाले की विजिलेंस जांच में बुधवार को एक नया मोड़ आया। विजिलेंस ने 20 जुलाई को विवि के रजिस्ट्रार अनूप गक्खड को सतर्कता अधिष्ठान मुख्यालय में तलब किया है। इस डेवलपमेंट के बाद विवि में हड़कंप मचा हुआ है।
मामले की विजिलेंस जांच अधिकारी इंस्पेक्टर पंकज पोखरियाल ने 19 जुलाई को पत्र भेजकर रजिस्ट्रार को विजिलेंस मुख्यालय में सुबह 11 बजे उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने को कहा गया है। पत्र में कहा गया है कि 6 जुलाई को मामले से जुड़े 8 बिंदुओं पर डॉक्यूमेंट सहित विजिलेंस मुख्यालय बुलाया गया था। लेकिन आज की तारीख तक अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि में नियुक्ति, खरीद फरोख्त व निर्माण कार्यों में हुई धांधली के बाद धारा 409,467, 420, 120बी भादवि व धारा 13 ( 1 ) ए सपठित धारा 13 (2) भ्र०नि०अधि0 1988 (संशोधित अधिo 2018 ) बनाम अज्ञात की जाँच की जा रही है ।
इसी के तहत रजिस्ट्रार को धारा 91 सी०आर०पी०सी० के अंतर्गत पत्र प्रेषित किया गया था और अब विवि के रजिस्ट्रार को दस्तावेज व सम्बंधित कर्मियों संग 20 जुलाई ( आज ) को विजिलेंस मुख्यालय बुलाने पर विवि से लेकर शासन तक अफरा तफरी का आलम बना हुआ है।
विजिलेंस जांच के घेरे में आयुर्वेद विवि के घोटाले की कहानी
18 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री धामी ने 2017 से 2022 तक आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कथित रूप से भ्रष्टाचार की सतर्कता जांच के आदेश दिए।
निरीक्षक किरण असवाल ने एक वर्ष तक जांच में साक्ष्य जुटाए। आरोपों की पुष्टि होने पर मुकदमा लिखे जाने की संस्तुति की गयी।
13 अप्रैल 2023 को मुख्यमंत्री ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना की अनुमति दी।
2017 से 2022 की अवधि में आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कथित तौर पर नियुक्ति, निर्माण, खरीद, परीक्षा आदि में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप है।
आरोप है कि शासन के आदेशों की अवहेलना कर शासकीय बजट को खुर्द बुर्द किया गया। इस अवधि में कुलपति के पद पर अभिमन्यु कुमार और सुनील जोशी रहे, प्रभारी कुलसचिव के पद पर अरुण त्रिपाठी, अनूप गक्खड, राजेश अड़ाना, सुरेश चौबे, उत्तम शर्मा रहे और वित्त अधिकारी के पद पर अमित जैन मुख्य तौर पर रहे। इन्हीं अमित जैन को सीएम ने अभी दंड भी दिया।
गौरतलब है कि आयुर्वेद विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अपने स्तर से पेयजल निर्माण निगम लिमिटेड को कार्यदायी संस्था नामित कर बिना शासन की अनुमति के सारे निर्माण कार्य कराए।
नियुक्ति में भी बिना NEET के प्रवेश देकर मुन्ना भाई को डॉक्टर बनाने के आरोप भी हैं।
अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी व विवि से निष्कासित पुलकित आर्य को राजेश अड़ाना ने वापस प्रवेश परीक्षा दिलवा कर डॉक्टर बनाने की कोशिश की।