( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में कांग्रेस की हार के बाद खुद पर लग रहे गंभीर आरोप के बाद हरीश रावत ने सोशल मिडिया पर एक पोस्ट लिख कर कहा कि वह लगातार इस तरह के गंभीर आरोपों से वह बेहद दुखी है। पद और पार्टी टिकट बेचने का आरोप अत्यधिक गंभीर है और यदि वह आरोप एक ऐसे व्यक्ति पर लगाया जा रहा हो, जो मुख्यमंत्री रहा है, जो पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष रहा है, जो पार्टी का महासचिव रहा है और कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य है।हरीश रावत ने कहा कि मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि कांग्रेस पार्टी मुझ पर लगे इस आरोप पर मुझे पार्टी से निष्कासित कर दें। होली बुराईयों के समन का एक उचित उत्सव है, होलिका दहन और हरीश रावत रूपी बुराई का भी इस होलिका में कांग्रेस को दहन कर देना चाहिए। आपको बता दे कि उत्तराखंड में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद से हरीश रावत सबसे अधिक निशानें पर हैं।
हरदा बोले, मन इस बात को लेकर दुखी था कि वह एक बेटी के टिकट काटने का माध्यम बन गए
हरीश रावत को लगातार उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा रहा है। इन आलोचनाओं से आहत हरदा सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लालकुआं से चुनाव लड़ने को अपनी भूल बताते हुए पहले से वहां तैयारी कर रहे तमाम प्रत्याशियों और क्षेत्र की जनता से माफी मांगी है। इस संबंध में भी फेसबुक पोस्ट में हरीश रावत ने लालकुआं के लोगों ने कहा है कि आपने उनसे श्रेष्ठ व्यक्ति को चुना है। वह तो अचानक लालकुआं चुनाव लड़ने पहुंच गए थे। वहां से कांग्रेस पार्टी के सभी उम्मीदवार जिनमें हरीश दुर्गापाल, हरेंद्र बोहरा और संध्या डालाकोटी पिछले पांच वर्षों से काम कर रहे थे। उनके समर्थक पिछले पांच वर्ष से अपने नायकों के नेतृत्व में संघर्ष कर रहे थे।वह उनके साथ भी खड़े हो गए, लेकिन उनकी ओर से मुझे स्वीकार करना पहले दिन से ही कठिन लग रहा था। जबकि उनका मन इस बात को लेकर के बहुत दुखी था कि वह एक बेटी के टिकट काटने का माध्यम बन गए। उन्होंने इसके लिए लालकुआं के लोगों से क्षमा मांगी है। कहा कि वह होली के बाद लालकुआं जाकर लोगों का धन्यवाद करेंगे।
अपनी हार से ज्यादा गणेश की हार से दुखी हैं हरीश
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी हार से ज्यादा गणेश गोदियाल की हार से दुखी हैं। उन्होंने कहा कि वह श्रीनगर जाकर लोगों से पूछेंगे, आखिर गणेश गोदियाल से बेहतर भावनात्मक रूप से पूर्णत: समर्पित उनको और कौन सा प्रतिनिधि मिल सकता है?
जो व्यक्ति मुंबई में कमाए और राठ के गांव में आकर उस पैसे से महाविद्यालय खड़ा करे, ताकि क्षेत्र का शैक्षिक विकास हो सके, तो हम ऐसे लोगों के भावना की कद्र न कर यदि कुछ और सतही सवालों पर उलझकर गणेश गोदियाल जैसे लोगों को ठुकरा देंगे, तो यह कहां तक सही है। उन्होंने कहा कि गणेश गोदियाल कल के उत्तराखंड के नायक हैं, ऐसे लोगों को जीतना ही चाहिए था।