( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय / सुनील तनेजा )
हरिद्वार / गोरखपुर । देशभर में मकर सक्रांति का पावन पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध हरकी पौड़ी पर सुबह से ही श्रधालुओं का गंगा स्नान का ताँता लगा हुआ है। तो वही गुरु गोरखनाथ की पावन धरती गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में CM योगी आदित्यनाथ ने बाबा गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ा कर पर्व की शुरुआत की।
साल 2023 के पहले पर्व मकर संक्रांति स्नान पर गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी है । लाखों श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर तड़के सुबह से ही डुबकी लगाई और पूजा पाठ करने के बाद खिचड़ी का दान किया। कड़ाके की सर्दी के बाद भी तड़के से श्रद्धालुओं का गंगा घाटों पर पहुंचना शुरू हो गया था। वही शनिवार को भी देर शाम तक श्रद्धालु स्नान करते रहे। मकर संक्रांति का मुहूर्त रविवार तक है, लिहाजा आज भी स्नान हो रहा है । पुलिस के आंकड़ों के अनुसार शनिवार शाम छह बजे तक तीन लाख अस्सी हजार श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई।
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार शनिवार रात्रि 8.44 बजे सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश हो गया, लेकिन स्नान का पुण्य काल शनिवार दोपहर 2.20 बजे से ही शुरू हो गया था। इस अवसर पर गंगा स्नान कर तिल और कपडे इत्यादि दान का पुण्य लाभ यात्री श्रद्धालुगण ले रहे है। महीने का दूसरा शनिवार और 15 जनवरी को रविवार वीकेंड होने से लोग स्नान के लिए हरिद्वार पहुंचे।
श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर ब्रह्म मुहूर्त पर स्नान शुरू कर दिया। हरकी पैड़ी और आसपास के सटे घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है और जैसे-जैसे दिन चढ़ता जायेगा तो श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ती चली जाएगी। इतना ही नहीं सुबह से ही हरकी पौड़ी और गंगा घाटों पर श्रद्धालुओ का जमावड़ा देखने को मिल रहा है।
उधर ,गोरखपुर में मकर संक्राति के अवसर पर गोरखनाथ बाबा के दरबार में खिचड़ी चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा है। सीएम योगी सहित लाखों श्रद्धालुओं ने शिवावतार गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मंगल कामना की। मंदिर परिसर में चारों ओर उत्सव व उल्लास का माहौल है। मंदिर में जयघोष से वातावरण गूंज रहा है।उधर मौसम की मार इस प्रमुख स्नान पर देखने को मिल रहा है। जिसके कारण श्रद्धालुओ का संख्या पर असर दिख रहा है।
सीएम योगी ने अपने हाथ से चढ़ाया नेपाल राजपरिवार का प्रसाद
रविवार को तड़के सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर बाबा गोरखनाथ के चरणों में नाथ पीठ और नेपाल राजपरिवार की खिचड़ी समर्पित किया। उसके बाद मंदिर का कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। भगवान भास्कर के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है। खिचड़ी चढ़ाने के लिए संपूर्ण उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों और पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालु भी मंदिर पहुंचें हैं।
*भोर से ही शरू हुआ खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला
आनुष्ठानिक कार्यक्रमों का शंखनाद रविवार को भोर में तीन बजे के बाद ही शुरू हो गया। मंदिर प्रबंधन और प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा का पूरा इंतजाम किया गया है। गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी खुद सभी व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं।
*पल-पल की जानकारी लेते रहे सीएम योगी
शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक सीएम योगी व्यवस्था को लेकर पूरी जानकारी लेते रहे और जरूरी निर्देश देते रहे। उन्होंने मंदिर परिसर का भ्रमण का इंतजाम को भौतिक रूप से देखा भी। मंदिर प्रबंधन की तरफ से श्रद्धालुओं के ठहरने और अन्य सुविधाओं का पूरी व्यवस्था की गई है। प्रशासन की ओर से रैन बसेरों में भी पूरी व्यवस्था की गई है।
पूरे रौ में पहुंचा खिचड़ी मेला
मकर संक्रांति के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में लगने वाला खिचड़ी मेला भी पूरे रौ में दिखा। श्रद्धालुओं ने पहले बाबा गोरखनाथ का दर्शन-पूजन किया और फिर मेले का लुत्फ उठाया। सतरंगी मेले में श्रद्धालु देर रात तक आनंदित होते देखे गए।
*बच्चे व युवाओं ने खूब उठाया मेले का आनंद
मेले में सजी दुकानें निरंतर खुली रहीं। झूले चलते रहे। उसपर बैठकर आनंद लेते बच्चों का स्वर गूंजता रहा। यह मेला यूं तो एक जनवरी से ही शुरु हो गया था लेकिन इसकी औपचारिक शुरुआत मकर संक्रांति से मानी जाती है। महाशिवरात्रि पर इस मेले का औपचारिक समापन होता है।
*त्रेता युग से चढ़ती है बाबा के दरबार में खिचड़ी
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है। मान्यता है कि उस आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार में पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए। भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और यहीं धूनी रमाकर साधनालीन हो गए। उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई। तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है। कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है।