( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। कहा जाता है कि राजनीती में कब कौन किसका हो जाये या राजनितिक ऊंट कब किस करवट बैठ जाये नहीं कहा जा सकता है। उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 समीकरण भी कुछ इसी तरह के राजनैतिक समीकरण बनते दिख रहे है।
जी हाँ , कांग्रेस और बीजपी के टिकट बंटवारे में बड़े मज़ेदार सियासी समीकरण सामने आ रहे हैं। दोनों ही दलों ने बुधवार को अपने कुछ प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की, जिसमें दो बेटियों के नाम की चर्चा है। एक बेटी हैं पूर्व सीएम हरीश रावत की और दूसरी हैं मुख्यमंत्री रहे रिटायर मेजर जनरल बीसी खंडूरी की। हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को कांग्रेस ने हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव मैदान में उतारा है तो बीसी खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को बीजेपी ने यमकेश्वर की जगह कोटद्वार से टिकट दिया है। दिलचस्प यह है कि दोनों बेटियों को बीजेपी और कांग्रेस ने ऐसी सीटों से टिकट दिया है, जहां से इनके पिता हार का स्वाद चख चुके हैं।
यह भी एक खास फैक्ट है कि दोनों बेटियों के पिता सिटिंग सीएम रहते हुए इन सीटों से चुनाव हारे थे। अब दोनों बेटियों के पास पूरा मौका है कि अपने अपने पिता की हार का बदला लेकर उनकी खोयी प्रतिष्ठा लौटा सकें। साल 2012 में सिटिंग सीएम रहते हुए कोटद्वार से बीसी खंडूरी, कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी से चुनाव हार गए थे। वहीं, 2017 में सिटिंग सीएम रहते हरीश रावत, बीजेपी के स्वामी यतीश्वरानंद से हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव हारे थे।
दोनों बेटियों अनुपमा और रितु के सामने एक संयोग और भी है। दोनों को उन्हीं विरोधी प्रत्याशियों का सामना करना है, जिन्होंने उनके पिताओं को हराया था। यानी कांग्रेस ने कोटद्वार से इस बार भी सुरेंद्र सिंह नेगी को ही चुनाव मैदान में उतारा है तो बीजेपी ने हरिद्वार ग्रामीण से यतीश्वरानंद को ही टिकट दिया है।
रितु खंडूरी और अनुपमा रावत , दो ऐसी बेटियां जो 2022 में अपनी किस्मत आज़माने के लिए उत्तराखंड के चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि दोनों की प्रोफाइल और सियासी बैकग्राउंड में काफी समानताएं हैं और सबसे बड़ी समानता तो यही है कि दोनों को अपने पिता की प्रतिष्ठा का हिसाब चुकता करना है।
इन दोनों ही बेटियों में कुछ समानताएं भी हैरान करने वाली हैं। रितु खंडूरी बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष हैं, तो अनुपमा रावत महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव। दोनों ही बेटियां राजनीति के लिहाज़ से जुझारू हैं। रितु यमकेश्वर से साल 2017 में विधायक भी चुनी जा चुकी हैं। इधर हरिद्वार ग्रामीण में लंबे समय से सक्रिय रहने वाली अनुपमा को आखिरकार पार्टी ने टिकट दे ही दिया है। अब सवाल ये है कि इन दोनों के दिग्गज पिता हारे कैसे थे?
2012 में बीजेपी ने रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम पद से हटाकर ‘खंडूरी है जरूरी’ का नारा दिया और बीजेपी खंडूरी के चेहरे पर चुनाव में गई। खंडूरी को कोटद्वार से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी ने 4623 वोटों से खंडूरी को हरा दिया।
2017 में कांग्रेस ने सिटिंग सीएम के तौर पर हरीश रावत के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा। रावत ऊधम सिंह नगर की किच्छा के साथ ही हरिद्वार ग्रामीण की सीट से भी चुनाव लड़े। प्रचंड मोदी लहर के चलते हरिद्वार ग्रामीण में हरीश रावत को यतीश्वरानंद से 12,227 वोटों के अंतर से हार मिली।