( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। देश में कमर्शियल फ्लाइट्स की शुरुआत JRD टाटा ने की थी। उन्होंने ही देश के पहले नागरिक उड्डयन हवाई अड्डे की भी स्थापना की थी। इसका नाम जुहू एयरोड्रोम है। इसकी स्थापना 1928 में की गई थी। 1932 में जेआरडी टाटा यहां पहली फ्लाइट लेकर उतरे थे और जो पहली अनुसूचित कमर्शियल मेल सर्विस थी। वह कराची से मुंबई आए थे। विश्व युद्ध 2 के दौरान इस एयरपोर्ट का अहम योगदान रहा। ब्रिटिश सेना के एशिया में हवाई अभियानों को यहां से काफी मदद मिली।
इस एयरपोर्ट का परिचालन अब भी होता है। इसके 2 रनवे ऑपरेशनल हैं। यहां नेता या मंत्रियों समेत अन्य वीआईपी लोगों के जहाज उतारे जाते हैं। इसके अलावा यहां से हेलीकॉप्टर्स भी उड़ान भरते हैं। इसके अलावा यहां बॉम्बे फ्लाइंग क्लब लोगों को पायलटों को ट्रेनिंग भी देता है। यह एयरपोर्ट बिलकुल वैसे ही काम करता है जैसे दिल्ली का पालम हवाई अड्डा।
मिलिट्री ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल
इस एयरपोर्ट को एएआई (एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) द्वारा वापस से कमर्शियल हवाई अड्डा की काफी कोशिश की गई लेकिन यह योजना सफल नहीं हो पाई। इस हवाई अड्डे को सैन्य अभियानों के लिए रिजर्व के तौर पर रखा गया है। वहीं, मुबंई का CSMIA कमर्शियल और कार्गो उड़ानों को संभालता है। यही वजह है कि सीएसएमआईए दुनिया का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है। इसने कुछ ही साल पहले लंदन के गैटविक एयरपोर्ट को इस मामले में पीछे छोड़ा था।
ज्यादा दिन नहीं हो सका परिचालन
जुहू एयरोड्रोम पर बहुत ज्यादा दिन कमर्शियल उड़ानों का परिचालन नहीं हो सका। 1937 और 1938 में यहां 2 और रनवे डाले गए लेकिन कुछ आधारभूत परेशानियां यहां हमेशा बनी रहीं। बरसात के दिनों में पानी जमने के कारण यहां फ्लाइट लैंड नहीं होती थीं।
हालांकि, इस परेशानी को कंक्रीट का रनवे बनाकर खत्म किया लेकिन फिर भी अथॉरिटीज को लगा कि बढ़ते यात्रियों को देखते हुए एक डेडिकेटेड एयरपोर्ट की जरूरत है। इसी बीच विश्व युद्ध छिड़ गया और इस एयरपोर्ट को सैन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। वहीं, सांता क्रूज एयरपोर्ट पर कमर्शियल फ्लाइट्स उतरने लगीं। 1947-48 में सांता क्रूज एयरपोर्ट औपचारिक रूप से कमर्शियल हवाई अड्डा बन गया।