* गत माह भी EMB के अध्यापको को वेतन देने मे हुई 22दिन देरी।
* भेल के वर्कर्स के माथे पर चिंता की लकीरें।
( डॉ हिमांशु द्विवेदी )
हरिद्वार। B.H.E.L कारखाने के बारे मे सरकार व मंत्री कुछ भी दावा करें, पर भेल की माली हालत किसी से छिपी नहीं है। वैसे तो भेल ने सरकार को 88 करोड़ का लाभांश दिया है। जब सरकार लाभांश दिया जा रहा तो आधिकारिओ को तंख्वा देने के पैसे क्यों नहीं है ? बताते चले कि गत महा भी ई एम बी के कर्मचरिओं के वेतन देने मे 22 दिन का विलंब क्यों ? भेल की यह हालत देख कर वर्कर्स के माथे पर चिंता की लकीरें आना स्वभाविक है। कहीं आगामी माह मे वर्कर्स के वेतन पर तो असर पड़ने वाला नहीं।
इस बात को लेकर भेल कारखाने मे चर्चाओं का बाजार गरम है। जबकि भेल के आधिकारियो को वेतन मे 10 दिनों की देरी की सूचना 1 दिसंबर को ही मिली। जब उनके खाते मे वेतन का पैसा नही आया। जबकि कॉर्पोरेट का यह मैसेज लोगो को अनऔफिसियाल् रूप से 30 नवंबर की दोपहर से लोगो के मोबाइल पर घूम रहा है। जब भेल की यह हालत है तो फसूल खर्च कम क्यों नही किये जाते ? अभी हाल मे भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्री के आगमन पर भारी भरकम बजट का कार्यक्रम क्यों किया गया ? यह वही बात हो गई कि हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और।