( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
देहरादून। उत्तराखण्ड में चल रही सियासी हलचल आखिरकार थम गई और उत्तराखण्ड के 10 वे मुख़्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत ने शपथ ली। बुधवार को राज्यपाल बेबिरानी उन्हें मुख्यमन्त्री पद की शपथ दिलवाई। उत्तराखण्ड के कमान सँभालते ही तीरथ सिंह रावत ने कहां कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का अभार प्रकट करते हैं, साथ ही उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपना बड़ा भाई बताया। रावत ने कहा कि उनका अब पूरा ध्यान राज्य की जनता के लिए दिन रात काम करना और उनके भरोसे पर खरा उतरना होगा। वही तीरथ सिंह रावत के सामने कई चुनौतियां भी होंगी। जिनको पार पाना इतना आसान नहीं होगा। सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती उपचुनाव जीत कर विधानसभा का सदस्य बनना होगी।
इसके बाद ही वे सीएम की कुर्सी पर बरकरार रह सकते हैं। माना जा रहा है कि वे सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के बाद खाली हुई सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। इतना ही नहीं तीरथ सिंह के सामने एक बड़ी समस्या राज्य में पार्टी को संगठित रखना भी होगी। जिस तरह से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पद से इस्तीफा दिया उससे पार्टी में खेमेबंदी हो सकती है। ऐसे में चुनावों से पहले इस तरह की खेमेबंदी को रोकना भी बड़ी चुनौती साबित होगी। वहीं तीरथ सिंह के लिए काम करने को एक साल का ही समय बाकी है। उसमें भी किसी फैसले के लिए उनके पास महत 8 से 10 महीने का ही समय रहेगा।