( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार में बाबा गणपति की ननिहाल है चारों तरफ गणपति की जय जयकार गूंज रही है बड़े-बड़े पंडालों में बाबा गणपति बैठे हुए हैं तो वहीं उड़ान फाउंडेशन गणपति के इस उत्सव में छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को भी जोड़ने का काम कर रहा है ।
हरिद्वार उड़ान फाउंडेशन ने कनखल स्थित एक सरकारी स्कूल में बच्चों की प्रतिभा और कला को गणपति महोत्सव से जुड़ा नई उड़ान फाउंडेशन ने आटे से भगवान गणपति कैसे बनाए जाते हैं । इसके बारे में स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को बताया खास बात यह रही दूसरी क्लास से लेकर पांचवी क्लास तक के बच्चों ने इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया फाउंडेशन हर साल गणपति महोत्सव के दौरान अलग-अलग स्कूलों में जाकर इस तरह की प्रतियोगिता को आयोजित करता है । नई उड़ान फाउंडेशन ने जब बच्चों को गणपति बनाने के लिए कहा तू स्कूल में स्थित हर बच्चा बेहद उत्साहित नजर आया खास बात यह रही कि छोटे-छोटे बच्चे पहली बार इस तरह से गणपति बप्पा की मूर्ति बना रहे थे और सभी ने बेहद खूबसूरत मूर्तियों को बनाया ।
नई उड़ान फाउंडेशन की अध्यक्ष विनीता गुनियाल कहती है कि हम यह चाहते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के साथ साथ बच्चे कला में भी परिपूर्ण हो । हरिद्वार और खासकर कनखल भगवान शिव की ससुराल है ऐसे में गणपति की ननिहाल होने की वजह से इस प्रोजेक्ट को किया गया । ताकि बच्चे शिक्षा के साथ-साथ धर्म की बारीकी को भी जाने ।संस्था की युवा सदस्य इशिता अरोरा ने छोटे-छोटे बच्चों को गणपति बनाना सिखाया और अच्छी बात यह है कि कुछ ही देर बाद जब हमने बच्चों से यह गणपति बनवाए तो सभी बच्चों ने बेहद खूबसूरत अंदाज में हमारे सामने गणपति की मूर्ति बनाकर दिखाई यह गणपति पूरी तरह से इको फ्रेंडली है । आटा और हल्दी का इन गणपति को बनाने में प्रयोग किया गया धार्मिक मान्यता के अनुसार भी माता पार्वती ने गणपति जी की प्रतिमा को हल्दी से बनाया था । उसी प्रकार हम भी बच्चों को उस संस्कृति और धार्मिक मान्यता से जुड़ना चाहते हैं । आजकल लोग गंगा में प्लास्टिक पेरिस और अन्य पदार्थों की मूर्तियों को विसर्जित करते हैं जिससे गंगा भी प्रदूषित होती है । आज यह बच्चे आटे और हल्दी के गणपति के बारे में जान रहे हैं और उम्मीद है भविष्य में यह जानकारी आगे भी बढ़ाएंगे।
संस्थापक विनीता गोनियल ने बताया कि सभी बच्चो के आटे में बीज भी डाले गए और उन्हे बताया गया की सभी बच्चे गणपति जी को घर में रखकर पूजा के बाद विसर्जन घर के गमलों में करे । तब कुछ दिन बाद आशीर्वाद स्वरूप पौधा मिलेगा या वोह विसर्जन गंगा जी में करे तो मछली को आटा भोजन के रूप में मिलेगा।संस्था द्वारा ये कोशिश की गई की पर्यावरण संरक्षण की ये सिख बीज की तरह सभी बच्चो में विकसित को जाए ताकि यही बच्चे जो कल का भविष्य है,एक समृद्ध वातावरण का सृजन कर सके।इस कार्य में संस्था से विभा गर्ग,प्रीति गुप्ता और अनीता ने पूरा सहयोग दिया साथ में स्कूल की प्रधानाचार्य गीतांजलि शर्मा, सीमा ठाकुर , राखी कुल,,नीरज शर्मा आदि sah अध्यापिका का सहयोग रहा।वर्कशॉप के अंत में सभी बच्चो को संस्था द्वारा प्रोत्साहित करने हेतु स्नैक्स और स्टेशनरी भी वितरित की गई।