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क्या गरीब प्रदेश दो-दो अस्थायी राजधानियों का बोझ झेल पायेगा ? आखिर क्या है सच्चाई ? जाने 

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 प्रदेश को चुकाना है 33701 करोड़ बाजारू कर्ज, अन्य ऋण है 47580 करोड़ का।
 हर मामले में न्याय पाने के लिए जाना पड़ता है न्यायालय की शरण में, त्रिवेन्द्र कार्यकाल में 19614 मामले हुए योजित।
 आगामी 5 वर्षों में कर्ज का ब्याज चुकाने में हो जायेगा प्रदेश कंगाल!
 नयी अस्थायी राजधानी बनाने को 5000 करोड़ का इंतजाम होगा कहाँ से!
 जनभावना का सम्मान जरूरी, लेकिन हर पहलू पर मंथन जरूरी!
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

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विकासनगर।
मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि अभी हाल ही में त्रिवेन्द्र सरकार ने गैरसैण को अस्थायी राजधानी बनाने की घोषणा की, जोकि जनभावना के आयने में ठीक हो सकती है, लेकिन अगर राज्य की आर्थिकी, जनसरोकार व सुलभ न्याय पाने की दृष्टि से सोचें तो एक गरीब प्रदेश के लिए इससे कष्टकारी कार्य कोई हो नहीं सकता।
नेगी ने कहा कि एक गरीब प्रदेश में दो-दो अस्थायी राजधानियों का बोझ प्रदेश उठाने की स्थिति में नहीं है। आलम यह है कि प्रदेश को 33701 करोड़ रूपया बाजारू कर्ज चुकाना है तथा 47,580 करोड़ (31.03.2019 तक) का अन्य कर्ज चुकाना है, जोकि अब तक लगभग 50000 करोड़ हो चुका है। वर्तमान में प्रदेश सरकार लगभग 3000 करोड़ प्रतिवर्ष बाजारू कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च कर रही है।


नेगी ने कहा कि प्रदेश की जनता को सरकार/शासन से न्याय नहीं मिलता, जिस कारण हर छोटे-मोटे मामले में न्याय पाने के लिए मा0 न्यायालय का सहारा लेना पड़ता है। अगर त्रिवेन्द्र के कार्यकाल की बात करें तो 19614 मामले में जनता ने मा0 न्यायालय में याचिकाएं दायर की तथा वहीं दूसरी ओर अन्य मुख्यमन्त्रियों के कार्यकाल में भी हजारों याचिकाएं दायर की गयी, यानि जनता को न्याय पाने के लिए न्यायालय का ही रूख करना पड़ा।
नेगी ने कहा कि अस्थायी राजधानी (गैरसैण) का निर्माण करने से लगभग 5000 करोड़ की जरूरत होगी, जोकि सभी मुख्यालय, ढांचागत विकास, आवास व एवं अन्य व्यवस्थाओं में खर्च किया जायेगा। ये धन जुटाना भी सरकार के लिए टेडी खीर है। राज्य गठन करने के पीछे भी जनता को यही उम्मीद थी कि सुलभ न्याय एवं जनसुनवाई होगी तथा माफियाओं का अन्त होगा, लेकिन सब कुछ इसके उलट हुआ। यहाँ तक कि जनता राज्य गठन को भी अपनी भारी भूल मानने लगी है।
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि दो-दो अस्थायी राजधानियों के बदले एक स्थायी राजधानी की घोषणा करें। वैसे मोर्चा केन्द्रशासित प्रदेश का पक्षधर है।
पत्रकार वार्ता में:- मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजयराम शर्मा, दिलबाग सिंह, सोम देश प्रेमी, सुशील भारद्वाज  आदि थे।

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