* बर्खास्त महिला कार्मिकों ने लगाई न्याय की गुहार।
( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त महिला कार्मिकों ने गुरुवार को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल से मुलाकात कर अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने बताया कि विधानसभा से बर्खास्त किए जाने के बाद उनके सम्मुख कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। उनकी आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है। कि उन्हें किस अपराध की सजा दी जा रही है। जब विधानसभा में राज्य निर्माण के बाद से ही चयन प्रक्रिया एक समान है। तो सिर्फ 2016 एवं इसके उपरांत कार्मिकों पर ही कार्रवाई किया जाना उनके साथ भेदभाव है।
महिला कर्मचारियों ने बताया कि अधिकांश महिलाओं के ऊपर ही परिवार चलाने की जिम्मेदारी थी तथा उनके वेतन से ही बच्चों की स्कूल तथा काॅलेज की फीस, मकान का किराया व घर का खर्च चलता था, लेकिन आज सभी सड़कों पर आ गई हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बच्चों की स्कूल तथा काॅलेजों की फीस की व्यवस्था, घर का खर्च, राशन तथा मकान के किराए की व्यवस्था, बैंक लोन की किश्तों के भुगतान की व्यवस्था किस प्रकार से होगी। महिला कार्मिकों ने बताया कि उनके ऊपर बच्चों की नहीं बल्कि बुजुर्ग सास-ससुर तथा माता-पिता की देखरेख का जिम्मा भी है, उनकी दवाइयां तथा चिकित्सा संबंधी खर्च भी वहन करने की स्थिति में वे अब नहीं रह गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रीति शर्मा, प्रतिभा तिवारी, सरिता नाथ, सुमित्रा रावत, गीता नेगी, लक्ष्मी चिराल, कविता फत्र्याल, लक्ष्मी सेमवाल, मृदुला नेगी, हेमलता जोशी, पुष्पा, मीनाक्षी व हेमंती ओवर ऐज हो चुकी हैं तथा शासकीय सेवाओं के लिए उम्र की अधिकतम सीमा को पार कर चुकी हैं। उम्र के इस पड़ाव में अनगिनत जिम्मेदारियों के बोझ के साथ वे कहां जाएं, क्या करें, कुछ समझ में नहीं आता। नौकरी से निकालते समय किसी ने यह तक नहीं सोचा कि उनके परिवारों का क्या होगा, बच्चों का क्या होगा, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का क्या होगा।
विधानसभा सचिवालय में सात वर्ष की समर्पित तथा निष्ठापूर्ण सेवाओं को एक झटके में समाप्त कर उन्हे मरने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया गया। उन्होंने महिला आयोग की अध्यक्षा को बताया कि परिचारक के पद पर कार्यरत हेमंती दिव्यांग हैं और अविवाहिता हैं। इसी छोटी सी नौकरी के सहारे अपनी बुजुर्ग तथा बीमार मां की परवरिश कर रहीं थी। लेकिन सितम्बर माह में जब हेमन्ती को बर्खास्त किया तो उनकी बुजुर्ग माता यह सदमा बर्दास्त नहीं कर सकी और उनकी दुःखद मृत्यु हो गई। सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत एक अन्य दिव्यांग महिला कर्मचारी सोनम गोस्वामी का वर्तमान में तलाक का वाद चल रहा है। सोनम ही घर का खर्च वहन करती थी और आज उसके सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत सुमित्रा रावत लगभग 50 वर्ष की हैं तथा इनके पति पैरालिसिस के चलते बिस्तर पर हैं। दोनों बच्चे काॅलेज में पढ़ रहे हैं। नौकरी से बर्खास्त किए जाने के बाद इनके सम्मुख रोजी-रोटी का संकट तो उत्पन्न हो ही गया है, साथ ही बीमार पति की देखरेख तथा बच्चों की शिक्षा-दीक्षा को लेकर भविष्य अंधकार में चला गया है। इसी तरह निहारिका कुकरेती उनियाल तथा पुष्पा बिष्ट के पति अब इस दुनिया में नहीं रहे। दोनों की छोटी-छोटी बेटियां हैं। इसी नौकरी के सहारे दोनों अपनी बेटियों की परवरिश कर रही थीं, लेकिन आज दोनों की जीवन में दुख और तकलीफों के अलावा कुछ और नहीं बचा। उन्होंने महिला आयोग की अध्यक्षा को बताया कि वे सभी विगत दो माह से विधानसभा सचिवालय के बाहर शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। बर्खास्त महिला कार्मिकों ने महिला आयोग की अध्यक्षा से न्याय की गुहार लगाई तथा उनके बच्चों तथा परिवारों की परेशानियों को मुख्यमंत्री तथा विधानसभा अध्यक्षा तक पहुंचाने का आग्रह किया। मुलाकात करने वालों में भगवती सानी, निहारिका कुकरेती उनियाल, बबीता भंडारी, कविता फत्र्याल, सोनम गोस्वामी, दया नगरकोटी, गीता नेगी आदि महिलाएं शामिल थीं।