*आधुनिक तकनीकी से समृद्ध होंगे संस्कृत शिक्षक : प्रो. शास्त्री
( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में परंपरागत संस्कृत शिक्षकों एवं छात्रों हेतु तकनीकी प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन किया गया।कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी एवं शैक्षणिक अधिष्ठाता डा. दामोदर परगाई ने संयुक्त रूप से किया।परियोजना प्रभारी डा. सुमन प्रसाद भट्ट ने बताया कि तकनीकी प्रशिक्षण कार्यशालाओं के क्रम में यह चतुर्थ राष्ट्रीय कार्यशाला है जिसमें 50 प्रशिक्षु प्रतिभाग कर रहे हैं।परियोजना सह प्रभारी सुशील चमोली ने कार्यशाला का परिचय देते हुए कहा की संस्कृत के छात्रों के विषय में यह पूर्वाग्रह है कि संस्कृत के छात्र केवल परंपरागत पूजा पाठ आदि से संबंधित रहते हैं इस कार्यशाला का उद्देश्य इस पूर्वाग्रहों को हटाकर संस्कृत के छात्रों को तकनीकी में कुशल बनाना है।
इस अवसर पर शैक्षणिक अधिष्ठाता डॉक्टर दामोदर परगाईं ने अपने उद्बोधन में कहा की छात्रों का जीवन एक पक्षी के समान है जो ज्ञान तथा कर्म के पंखों पर उड़ान भरता है ज्ञानार्जन तथा आधुनिक समय के साथ आधुनिक तकनीकी से कर्म यह संस्कृत के छात्र के लिए आवश्यक है। संस्कृत के छात्र को अपनी ज्ञान परंपरा तथा तकनीकी को साथ में रखकर आगे बढ़ना चाहिए।कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने बताया कि विश्वविद्यालय में चल रही परियोजना के लिए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने अनुदान दिया है। कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड राज्य के सभी जनपदों में प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि जिस प्रकार एक पहिए से रथ की गति नहीं हो सकती इस प्रकार तकनीकी ज्ञान के अभाव में केवल परंपरागत शिक्षा द्वारा आधुनिक समय में छात्र की गति कठिन है। आधुनिक समय की मांग भी यही है कि शिक्षक तकनीकी तथा ज्ञान दोनों पक्षों में परिपक्व हो। कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय अपने सभी परंपरागत संस्कृत विद्यालयों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। धन्यवाद कार्यशाला की संयोजिका मीनाक्षी सिंह रावत ने किया। कार्यक्रम का संचालन कृष्णा कंसवाल ने किया।कार्यक्रम में अनीता कुकरेती, हिमांशु पंत, दुर्गेश पांडे, कविता रावत, गौरव थपलियाल, दीपांशु, आदि उपस्थित रहे।