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बड़ी खबर:कावड़ यात्रा पर चौतरफा पेसोपेश : योगी की गुजारिश,सुप्रीम कोर्ट और महंतो की नाराज़गी और उत्तराखण्ड का ‘ गंगा जल plan’ । आखिर क्या है स्थिति ? Tap कर जाने

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( ब्यूरो,न्यूज 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून / लखनऊ / नई दिल्ली / हरिद्वार । कांवड़ यात्रा को लेकर चौतरफा पेशोपेश में है। स्तिथि यह है कि उत्तर प्रदेश ने इस साल 25 जुलाई से कावन यात्रा शुरू करने का फैसला किया है।इस मुद्दे पर हंगामा बरपा है। क्योंकि कुछ मुद्दे उलझ गए है जो परेशानी का सबब बनते जा रहे है। सबसे पड़ी परेशानी का सबब यह है कि दोनों प्रदेशों में भाजपा की सरकार होने के बावजूद फैसले अलग – अलग क्यों? दूसरी बात यह कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले भी इस मुद्दे पर बात करने के बाद एक बार फिर फोन पर बात कर  कांवड़ यात्रा शुरू करने की गुजारिश की है। तीसरी बात यह कि सुप्रीम कोर्ट और महंतों सहित व्यपारियो की नाराज़गी तथा चौथी बात यह कि उत्तराखण्ड भले ही कावड़ियों को अपने यहां भले ही उनके प्रवेश पर नों इंट्री का फैसला ले चुका है पर उनके लिए गंगा जल पहुंचाने की कवायत कर रहा है। जबकि इस पूरे परिदृश्य में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सहित केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए 16 जुलाई को सुनवाई करेगा।

योगी की गुजारिश, ‘सीमित लोगों को दें एंट्री’

बीते मंगलवार को सीएम धामी ने कांवड़ यात्रा न आयोजित करने संबंधी फैसला लिया था।  जबकि उत्तर प्रदेश इस यात्रा को कोविड प्रोटोकॉल के साथ मंज़ूरी दे चुका है।  सूत्रों के हवाले से खबर आई कि सीएम योगी ने एक बार फिर धामी को फोन किया और अनुरोध किया कि सीमित संख्या में ही सही, कांवड़ियों के हरिद्वार पहुंच पाने की कुछ तो सूरत निकाली जाए।  यहां गौरतलब बात यह है कि दोनों ही राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। 
उत्तराखंड का गंगाजल डाक प्लान


सीएम धामी अब योगी की गुज़ारिश पर क्या कदम उठाएंगे, यह तो आने वाला समय बताएगा पर बाद इस पूरी कवायद के बीच हरिद्वार जिलाधिकारी रविशंकर ने एक बड़ा ऐलान किया है।जिलाधिकारी रविशंकर ने कहा, ‘हम डाक से श्रद्धालुओं तक गंगाजल पहुंचाने का इंतज़ाम कर रहे हैं । यही नहीं, पड़ोसी राज्यों के प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं और ज़्यादा भीड़ से बचने के विकल्प के तौर पर टैंकरों से भी गंगाजल की सप्लाई करने की योजना बन रही है।’
कांवड़ यात्रा पर चौतरफा पक्ष कुछ और भी
1- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब मांगा है। 16 जुलाई को अगली सुनवाई होगी, तब तक उप्र को बताना है कि कोविड के संकट के बीच इस यात्रा का फैसला क्यों लिया गया है।

2- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उत्तराखंड के सीएम को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि कांवड़ यात्रा को मंज़ूरी न दी जाए ताकि राज्य और देश को कोविड के कहर से सुरक्षित रखा जा सके ।
3. इधर, अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास के हवाले से खबरों में कहा गया कि उत्तराखंड को यात्रा करवानी चाहिए। दास का कहना है कि पर्यटन स्थलों पर जब भीड़ जुट ही रही है, तो कोविड प्रोटोकॉल के साथ यात्रा क्यों नहीं हो सकती?

और हंगामा यूं भी है बरपा…
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जब दोनों ही भाजपा सरकारों वाले राज्य हैं, तो एक ही मुद्दे पर अलग फैसले क्यों लिये गए? इस सवाल पर यूपी के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, ‘राज्यों की नीतियां अलग हो सकती हैं। यूपी में जनसंख्या भले ही ज़्यादा है, लेकिन यहां रोज नए केसों की संख्या 90 से भी कम है और वैक्सीनेशन तो जारी है ही। सभी राज्य अपने फैसले करने के लिए आज़ाद हैं और यूपी अपने फैसले खुद ले सकता है।’ सिंह ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उपयुक्त जवाब दाखिल किया जाएगा।

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