( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नैनीताल। देश ही अपितु एशिया के सबसे पहले नेशनल पार्क का नाम एक बार फिर बदलने जा रहा है। उत्तराखण्ड के नैनीताल में रामनगर स्थित प्रसिद्ध पर्यटन और वन्यजीवन संरक्षण स्थल जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम अब रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान होने जा रहा है। नेशनल पार्क रिज़र्व के निदेशक राहुल ने बुधवार को कहा कि नाम बदलने की पूरी संभावना है. कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम रामगंगा नदी के नाम पर रखा जा रहा है क्योंकि यह नदी ही इस रिज़र्व की जीवनगंगा मानी जाती है। इससे भी ज़्यादा दिलचस्प बात यह है कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का नाम बार बार बदलने का इतिहास रहा है। जानिए कैसे चौथी बार नाम बदला जा रहा है और यह फैसला कब कैसे हुआ।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का इतिहास दशकों पुराना है। एक झलक में देखें तो उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में इस वन को संरक्षित करने की पहल 1868 में ब्रिटिश राज में हुई थी। 1879 में इन जंगलों को रिज़र्व फॉरेस्ट बनाया गया। 20वीं सदी के शुरू में कुछ अंग्रेज़ों ने यहां नेशनल पार्क बनाने पर विचार किया। 1907 में एक गेम रिज़र्व बना लेकिन 1930 के दशक में क्षेत्र को चिह्नित किए जाने की कवायद शुरू हो सकी। इसके बाद प्रसिद्ध पार्क बना और उसके नामकरण का सिलसिला शुरू हुआ।
1936 में नेशनल पार्क बना और सबसे पहले इसे हैली पार्क कहा गया क्योंकि उस वक्त के उत्तर प्रदेश या संयुक्त प्रांत के गवर्नर मैलकम हैली थे। एशिया के पहले नेशनल पार्क का नाम आज़ादी के बाद बदलने की कवायद शुरू हुई तो 1954–55 में इसे रामगंगा नेशनल पार्क कहा गया लेकिन एक साल बाद ही 1955–56 में इसे कॉर्बेट नेशनल पार्क कहा गया। यह नाम प्रसिद्ध प्रकृति मीमांसक, वन्यजीवन विशेषज्ञ लेखक और शिकारी जिम कॉर्बेट के सम्मान में रखा गया। अब यह नाम फिर रामगंगा होने जा रहा है, तो क्यों?
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री अश्विनी कुमार चौबे 3 अक्टूबर को कॉर्बेट नेशनल पार्क के दौरे पर पहुंचे थे। पार्क के निदेशक राहुल के मुताबिक चौबे ने कहा कि इस पार्क का नाम फिर रामगंगा नेशनल पार्क रखा जाएगा क्योंकि यही इसका मौलिक नाम था। राहुल ने कहा, ‘अगर वन मंत्रालय हमसे इस संबंध में प्रस्ताव मांगेगा तो हम आदेशानुसार कवायद करेंगे। ‘ खबरों की मानें तो एक वन अधिकारी का कहना है कि चौबे ने नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए हैं जबकि एक अन्य का कहना है कि अभी यह सिर्फ सुझाव स्तर पर ही है।
इधर, चौबे ने अपने ट्विटर पर सिलसिलेवार पोस्ट करते हुए नेशनल पार्क के दौरे और समीक्षा बैठकों के बारे में बताया लेकिन नाम बदलने संबंधी कोई पोस्ट नहीं की। लेकिन कॉर्बेट नेशनल पार्क के ट्विटर पर इस बारे में बुधवार को ट्वीट किया गया। खबरों में बताया जा रहा है कि ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ शृंखला के तहत वन्यजीव सप्ताह उत्सव के मद्देनज़र चौबे ने यह दौरा किया था और इस तरह के निर्देश दिए। हालांकि इस तरह के प्रस्ताव पर विरोधी प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं।
बाघों, तेंदुओं, हाथियों, हिरणों, भालुओं समेत कई तरह के वन्यजीवों और वनस्पतियों से भरपूर 520 वर्ग किमी में फैले इस पार्क का नाम बदलने से एक वर्ग नाखुश भी दिख रहा है। कुमाउंनी एक्टिविस्ट एजी अंसारी ने HT से कहा, ‘हैली नेशनल पार्क बनाने की कमेटी में कॉर्बेट शामिल थे। वह उन पहले व्यक्तित्वों में से थे, जिन्होंने दुनिया को जंगलों और वन्यजीवन को बचाने के बारे में समझाया था. नाम बदलना उनके साथ अन्याय होगा। ‘