( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड और हिमाचल राज्य की सीमा पर बनने वाला एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध एक शापित नदी पर बनने जा रहा है। हालांकि अगर यह बांध बनेगा तो इससे पांच राज्यों को फायदा होगा।
उत्तराखंड में टौंस नदी को तमसा नदी भी कहा जाता है। मान्या है कि यह नदी शापित है। यमुना जी ने इसे श्राप दिया था कि इस नदी का पानी कही भी प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। वहीं आज तक हिमाचल में इस नदी के पानी का इस्तेमाल नहीं हुआ है। इसके बाद से ही हिमाचल सरकार और उत्तराखंड सरकार इसे लेकर कुछ हाथ खींचती रही है।
लेकिन क्या अब हिमाचल चुनाव के बाद इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम होना शरु होगा। इसके लेकर अब लोगों में भी उत्सुकता बढ़ने लगी है। टौंस नदी पर प्रस्तावित किशाऊ बांध दोनों राज्यों का महत्वकांशी प्रोजेक्ट है।
हिमाचल और उत्तराखंड की बराबर की हिस्सेदारी
यह बांध एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा बांध होगा। इसमें हिमाचल और उत्तराखंड की बराबर की हिस्सेदारी रहेगी। इस परियोजना पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये लागत आएगी। किशाऊ बांध के बनने से 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
इस परियोजना से हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। हालांकि इस परियोजना का सबसे ज्यादा फायदा दिल्ली को होगा, जिसे यहां से पीने के लिए पानी की आपूर्ति भी की जाएगी।
3000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी
योजना से हिमाचल प्रदेश और उतराखंड सहित पांच राज्यों के लोगों को पानी की भी सप्लाई होगी। इस परियोजना का 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी जबकि 10 फीसदी हिस्सा हिमाचल व उतराखंड सरकार को देना है।
इस बांध के बनने से दोनों राज्य की करीब 3000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी। परियोजना के तहत मोहराड़ से त्यूनी तक लगभग 32 किलोमीटर लंबी झील बनाई जाएगी। इसके लिए 2950 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी।
परियोजना की जद में उत्तराखंड के नौ और हिमाचल प्रदेश के आठ गांव आएंगे। परियोजना निर्माण से दोनों राज्यों में बिजली की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी। योजना निर्माण के लिए किशाऊ कारपोरेशन कंपनी लिमिटेड भी गठित की गई है।
परियोजना एक नजर में
660 मेगावाट की क्षमता वाली किशाऊ बांध जलविद्युत परियोजना में 236 मीटर ऊंचा और 680 मीटर लंबा बांध टोंस नदी पर बनाया जाएगा। इसके लिये दोनों राज्यों से 2950 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी। किशाऊ बांध की कुल जल संग्रहण क्षमता 18240 लाख घनमीटर होगी। इसके पूर्ण होने पर 18510 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन हर साल होगा। शुष्क मौसम में बांध की डाउन स्ट्रीम में मौजूद छिबरो, खोदरी, ढकरानी, ढालीपुर और कुल्हाल बिजली परियोजनाओं को इस बड़े जलाशय से पानी की आपूर्ती हो सकेगी।
ये गांव होंगे प्रभावित
किशाऊ बांध से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के मोराड़, मशवाड़, कडयारी, नेरा, बड़ा लाणी, सियासू, थनाणा, धारवा, शिमला जिले के गुम्मा, फेलग, अंतरोली और उत्तराखंड के क्वानू, सांबर, कोटा समेत 17 गांव प्रभावित होंगे।
बांध से इतनी संपत्ति होगी जलमग्न
परियोजना के तहत मोहराड़ से त्यूनी तक लगभग 32 किमी लंबी झील बनाई जाएगी। अभी तक के सर्वेक्षण के हिसाब से इस परियोजना से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 81,300 पेड़, 631 लकड़ी से बने मकान, 171 पक्के मकान, दोनों राज्यों के 632 सामूहिक परिवार तथा 508 एकल परिवार, आठ मंदिर, छह पंचायतें, दो अस्पताल, सात प्राइमरी स्कूल, दो मिडल स्कूल, एक इंटर कालेज जलमग्न होंगे।
कौन सा राज्य कितना पैसा देगा
हरियाणा- 478.85 करोड़
उत्तर प्रदेश- 298.76 करोड़
उत्तराखंड- 38.19 करोड़
राजस्थान- 93.51 करोड़
हिमाचल प्रदेश- 31.58 करोड़
दिल्ली- 60.50 करोड़