( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड चुनाव नतीजे से ऐन पहले पूर्व सीएम और कांग्रेस कैम्पेन कमेटी के चेयरमैन हरीश रावत ने भाजपा की राजनीती पर एक बड़ा बयान देकर उत्तराखण्ड की राजनीती में खलबली मचा दी है। हरीश रावत ने उत्तराखण्ड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों के टिकट चुन चुनकर काटे जाने की बात कहते हुए इशारों में कहा कि खुरपेचियों ने पैसों के चक्कर में ये सब किया। हरीश रावत के इस बयान के बाद अब सवाल है कि बीजेपी में ऐसा खुरपेची कौन है, जो उत्तराखंड का नुकसान कर रहा है? इस सवाल के जवाब की तह तक पहुंचेंगे लेकिन उससे पहले ये भी जानिए कि बीजेपी रावत के इस बयान से पल्ला झाड़ती दिख रही है।
उत्तराखंड की 70 सीटों के लिए 14 फरवरी को चुनाव हुआ, नतीजे 10 मार्च को आएंगे। ऐसे में राजनीतिक सुर्खियों में बने रहने के लिए पूर्व सीएम हरीश रावत ने बीजेपी की अंदरूनी राजनीति और टिकट बंटवारे में खुरपेच के आरोप लगाए हैं। रावत के ये आरोप ऐसे समय में आए हैं, जबकि बीजेपी के भीतर कलह खुलकर सामने आई हुई। रावत का कहना है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के करीबियों के टिकट राजनीतिक खेमेबाज़ी के चलते काटे गए, इस बात की पुख्ता जानकारी उनके पास है। इस बयान में पैसों के लेनदेन के ज़िक्र से बीजेपी और उत्तराखंड की सियासत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सवाल ,बीजेपी में वो खुरपेची कौन ?
हरीश रावत के बयान के मुताबिक जो उत्तराखंड को पैसा कमाने वाला राज्य मानते हैं, वो खुरपेची राज्य के लिए चिंताजनक हैं। क्या वाकई 2022 चुनाव में टिकट बांटने और काटने को लेकर बीजेपी में खुरपेचियों ने खेल किया ? हरीश रावत की इस बात का जवाब बीजेपी ने उन्हीं पर एक आरोप मढ़कर दिया है। बीजेपी का कहना है कि हरीश रावत खुद को कांग्रेस का पर्याय साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
हरीश रावत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि पार्टी में टिकट बांटने की एक प्रकिया है और उसी के तहत टिकट बांटे गए हैं। कौशिक ने कहा कि हरीश रावत को अपनी चिंता करनी चाहिए। वह खुद को कांग्रेस में एकमात्र नेता सिद्ध करना चाह रहे हैं। कौशिक के मुताबिक रावत 10 मार्च तक ऐसी बात करते रहेंगे। इधर, इस मामले में त्रिवेंद्र रावत ने भी प्रतिक्रिया दी।
त्रिवेंद्र ने किया गुटबाज़ी से इनकार
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के मौजूदा कार्यकाल में पहले और सबसे लंबे समय यानी करीब 4 साल सीएम रहे त्रिवेंद्र रावत का कहना है, ‘हमने कोई गुटबाज़ी नहीं की। स्वाभाविक बात है कि कोई किसी के करीब होता है, कोई किसी और के। हरीश रावत ने जो बोला है, अपनी सोच के आधार पर बोला है।’