( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में सड़को पर मौत का सिलसिला और अकड़ा दोनों लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ड्रिंक एन्ड ड्राइव,तेज़ रफ़्तार व ओवरस्पीड़ के कारण सबसे ज्यादा हादसे होते है। इन हादसों के आकड़ो पर पिछले सात महीनों का हिसाब देखा जय तो 956 सड़क हादसों में 610 लोगो अपनी जान गवा बैठे है। जोकि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 24 % ज्यादा है। देखा जय तो पिछले दो वर्षो की तुलना में इस वर्ष सड़क हादसों में इजाफ़ा हुआ है।
गत दो वर्षो के आकड़ो पर नज़र डाली जाय तो वर्ष 2020 में कुल 510 हादसे , जिसमें 468 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी। हादसों की संख्या वर्ष 2021 में बढ़कर 773 हो गई, जिसमें 468 की मृत्यु हो गई। वर्ष 2022 में हादसों में एकाएक तेजी आई।
जनवरी से जुलाई तक 956 सड़क हादसे हो चुके हैं, जिसमें 610 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। हादसों पर नियंत्रण लाने के लिए यातायात निदेशालय की ओर से हाइवे पेट्रोलिंग को बढ़ावा देने की योजना बनाई गई, लेकिन फोर्स की कमी के चलते यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई है।
विशेषज्ञों की मानें तो अधिक से ज्यादा मौतें समय पर उपचार न मिलने के कारण होती हैं। वहीं पहाड़ के दुर्गम क्षेत्रों में होने वाले हादसों में रेस्क्यू करने में काफी समय लग जाता है, जिसके कारण कई लोगों की मृत्यु हो जाती है।
शहरी जिलों में सर्वाधिक हादसे
यातायात निदेशालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो पर्वतीय जिलों के मुकाबले शहरी जिलों में अधिक हादसे हो रहे हैं। सबसे अधिक 251 हादसे उधमसिंहनगर जिले में, इसके बाद देहरादून जिले में 233, हरिद्वार जिले में 221 और नैनीताल जिले में 144 हादसे हुए हैं।