( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नैनीताल / देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट ने राष्ट्री मुक्त विद्यालय शिक्षा संसथान ( NIOS ) करने वाले अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक प्राथमिक की भर्ती परीक्षा में शामिल करने का आदेश सरकार को दिया है। आपको बता दे कि इस वक्त उत्तराखण्ड में 2648 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है।
बुधवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार के रोक संबंधी 10 फरवरी 2021 को जारी आदेश को भी निरस्त कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश से एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षण लेने वाले प्रदेश के करीब 37 हजार अभ्यर्थियों को सीधा लाभ मिलेगा।
अभ्यर्थियों ने शासनादेश को दी थी चुनौती मामले के अनुसार, नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि उन्होंने 2019 में एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनकी इस डिग्री को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं एनसीटीई द्वारा मान्यता दी गई है।
गाइडलाइन का बहाना देकर अभ्यर्थियो को किया गया बाहर
सरकार ने फरवरी में काउंसलिंग से किया था बाहर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 16 दिसम्बर 2020 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, 6 जनवरी 2021 को एनसीटीई और 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव ने उन्हें सहायक अध्यापक प्राथमिक में शामिल करने को कहा था, लेकिन 10 फरवरी 2021 को सरकार ने यह कहते हुए उन्हें काउंसलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। जबकि इससे पहले याचिकाकर्ताओं के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे।
वही शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने कहा,”डीएलएड भर्ती में 70 फीसदी से अधिक पदों पर चयन हो चुका है, अब कुछ पदों पर ही चयन होना है। कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद कुछ कहना संभव हो पाएगा।”
सभी याचिकाएं अंतिम रूप से निस्तारित
याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सीडी बहुगुणा ने कोर्ट में तर्क दिया कि राज्य सरकार एवं एनसीटीई के आदेश विपरीत होने के कारण निरस्त किए जाने योग्य है। कोर्ट ने सभी याचिकाओं को सुनने के बाद अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।
सरकार पर दो हजार प्रति याचिकाकर्ता का जुर्माना
डीएलएड मामले में कोर्ट ने सरकार पर लापरवाही बरतने पर दो हजार रुपया प्रति याचिकाकर्ता के हिसाब से अर्थदंड लगाया है। जो सरकार को याचिकाकर्ताओं को देना है। मामले में करीब 350 याचिकाकर्ता हैं जिनको यह रकम सरकार को देनी होगी।
हाईकोर्ट ने एनआईओएस (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान) से डीएलएड करने वाले अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक प्राथमिक की भर्ती परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया है। उत्तराखंड में 2648 पदों पर यह भर्ती प्रक्रिया चल रही है।
राज्य सरकार का आदेश निरस्त
बुधवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार के रोक संबंधी 10 फरवरी 2021 को जारी आदेश को भी निरस्त कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश से एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षण लेने वाले प्रदेश के करीब 37 हजार अभ्यर्थियों को सीधा लाभ मिलेगा।
अभ्यर्थियों ने शासनादेश को दी थी चुनौती मामले के अनुसार, नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि उन्होंने 2019 में एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनकी इस डिग्री को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं एनसीटीई द्वारा मान्यता दी गई है।
सरकार ने फरवरी में काउंसलिंग से किया था बाहर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 16 दिसम्बर 2020 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, 6 जनवरी 2021 को एनसीटीई और 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव ने उन्हें सहायक अध्यापक प्राथमिक में शामिल करने को कहा था, लेकिन 10 फरवरी 2021 को सरकार ने यह कहते हुए उन्हें काउंसलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। जबकि इससे पहले याचिकाकर्ताओं के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे।