( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। हरिद्वार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर कई बार से लगी आ रही रोक आखिरकार हटती दिखाई दे रही है। क्योकि राज्य सरकार ने मई महीने में हाईकोर्ट में तीन माह के भीतर पंचायत चुनाव का हलफनामा देने के बाद शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में इस बात पर मुहर लगा दी।
आपको बता दे कि राज्य में हरिद्वार एक ऐसा जिला है ,जहां त्रिस्तरीय पंचय चुनाव उत्तराखण्ड के अन्य जिलों के साथ नहीं हो पाते है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है बल्कि राज्य गठन के बाद से यह क्रम शुरू से बना हुआ है। क्योकि हरिद्वार में पंचायतों का गठन अन्य जिलों से सालभर बाद होता है। इसी के चलते अक्तूबर 2019 में हुए पंचायत चुनावों में हरिद्वार में चुनाव नहीं हो पाए थे।
हरिद्वार में पिछले पंचायत चुनाव वर्ष 2015 के आखिर में हुए थे। तब वहां 29 मार्च, 2016 को ग्राम पंचायतों, 16 मई को जिला पंचायत और 10 जून को क्षेत्र पंचायतों की पहली बैठक हुई थी। पहली बैठक के साथ ही पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल शुरू होता है, जो 2021 में खत्म हुआ।
उत्तराखंड पंचायतीराज एक्ट, 2016 के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले तक चुनाव न होने की स्थिति में उन्हें छह माह तक प्रशासकों के हवाले किया जा सकता है। इस क्रम में मार्च से हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए गए। इस अवधि के भीतर भी चुनाव न हो पाने पर सरकार ने पंचायतीराज एक्ट में संशोधन कर प्रशासकों का कार्यकाल छह माह और आगे बढ़ाया था।
हरिद्वार की 306 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल 29 मार्च को खत्म हो गया था। इस दौरान सरकार ने पंचायत चुनाव के परिसीमन के लिए निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव भेजा था, जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी लेकिन हाईकोर्ट में लंबित मामले के चलते फिर प्रक्रिया रोक दी गई थी।
मई माह में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि वह तीन माह के भीतर हरिद्वार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराएंगे। इसी के तहत पिछली कैबिनेट बैठक में पंचायत चुनाव के विधिक पहलुओं को जानने के लिए महाधिवक्ता से राय ली गई। शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में हरिद्वार के पंचायत चुनावों को हरी झंडी दे दी गई। अब राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।