( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। नेशनल अकादमी ऑफ पंचकर्म एंड रिसर्च नापार की केंद्रीय इकाई द्वारा एक वेबिनार का आयोजन पंचकर्म के चिकित्सकीय प्रयोग विषय के साथ डॉ अतुल वार्ष्णेय पूर्व सचिव नापार उत्तर प्रदेश के संयोजन में सम्पन्न हुआ।नापार के राष्ट्रीय सचिव डॉ विनोद वैरागी ने संगठन के बारे में विस्तार से बताया कि यह संगठन 1995 से सारे भारत के पंचकर्म विशेषज्ञों के एकमात्र संगठन के रूप में कार्य कर रहा है तथा हर प्रदेश में इसकी स्वतंत्र इकाई कार्य कर रही है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर विनय पाठक उप कुलपति ए पी जे ए के टी यू लखनऊ ने पंचकर्म की अंतरराष्ट्रीय पहचान को बताया तथा पंचकर्म के प्रयोग के लिये टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के सहयोग से यंत्रों के नए रूप में बनाये जाने के लिये सहयोग की बात कही।एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर उमा शंकर निगम मुम्बई ने नस्य कर्म के अनुभूत योगों के बारे में विस्तार से बताया। आल इंडिया आयुर्वेद इंस्टीट्यूट दिल्ली की प्रोफेसर डॉ कामिनी धीमान ने महिलाओं में उत्तरबस्ति की प्रक्रिया को विस्तार से बताया व उसके प्रयोग के समय आवश्यक सावधानियों को विस्तार से बताया।उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ऋषिकुल कैंपस पंचकर्म विभाग के प्रमुख प्रसिद्ध प्रोफेसर डॉ के के शर्मा ने बस्ति कर्म द्वारा चिकित्सा को विस्तार से बताया।
उन्होंने आमवात की चिकित्सा केअनुभवों को श्रोताओं के साथ साझा किया।प्रोफेसर सुभाष वार्ष्णेय ने रक्तमोक्षण कर्म की विस्तार से चर्चा की तथा जलौका चिकित्सा को विस्तार से बताया। उज्जैन के प्रसिद्ध पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ एस एन पाण्डे ने पुरुषों में यूरेथ्रल स्ट्रक्चर में उत्तर बस्ति को विस्तार से समझाया।
कार्यक्रम के संचालक इंडियन वैद्या के डॉ पीयूष जुनेजा ने श्रोताओं के प्रश्नों को रखा।। डॉ अतुल वार्ष्णेय ने बताया कि पंचकर्म की विभिन्न चिकित्सा विधियों से अनेक असाध्य रोगों में भी पूर्ण लाभ मिलता है।कार्यक्रम में विभिन्न आयुर्वेद कॉलेजों के अध्यापक व देश भर के निजी चिकित्सक व विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम को इंडियन वैद्या व अतुल्या आयुर्वेद वर्ल्ड के fb पेज से भी लाइव टेलीकास्ट किया गया जिसे हजारों चिकित्सकों ने देखा।